✍️ओ कान्हा ✍️
ओ कान्हा,
जब जब बुलाओ तुम वृंदावन,
दौड़कर कर मैं हर बारी आऊँ,
इतना मनमोहक रूप देखकर,
ओ कान्हा मैं वारी- वारी जाऊँ।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी
ओ कान्हा,
जब जब बुलाओ तुम वृंदावन,
दौड़कर कर मैं हर बारी आऊँ,
इतना मनमोहक रूप देखकर,
ओ कान्हा मैं वारी- वारी जाऊँ।
✍️वैष्णवी गुप्ता
कौशांबी