✍️एक तारा आसमाँ से टूटा था✍️
✍️एक तारा आसमाँ से टूटा था✍️
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एक तारा आसमाँ से टूटा था
शायद वो अपनों से रूठा था
क्या कोई चांदनी बेवफ़ा थी
या उसके चाहत से खफ़ा थी
क्या किसीने छीनी रोशनी थी
फिर कोई अधूरी कहानी थी
वो टुटा गमो का अंबार लेके
खुद झुलसते हुए अंगार लेके
इंसान के जब वो नजर में पडा
आगे था मन्नतो का पहाड़ खड़ा
बेचारा दर्द के बोझ का मारा था
इस ज़मी के उम्मीदो से हारा था
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©✍️”अशांत”शेखर✍️
29/07/2022