✍️इत्तिहाद✍️
✍️इत्तिहाद✍️
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एक आसमान है
और एक चाँद…
पीछे तारो का जमघट है।
एक ज़मी है
और एक मैं…
बाकी मायूसी का मरघट है।
मोहब्बत की भरी
कहकशाँ में महफ़िल है।
खुद से लड़ने में मशरूफ़ इँसा
देख कैसा वो ज़ाहिल है।
वो तो मुक़म्मल इँसा
की खुशियों के लिये
बादलों को रुलाते है।
एक आसिम इँसा अपनी
नादानियों से आसमाँ को
शोरा जहर पिलाते है।
तुम्हारी इत्तिहाद
इंसान के लिए एक अबद मिसाल है।
गर्म मिज़ाज सूरज से
रोशनी पाने का हौसला बेमिसाल है।
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✍️”अशांत”शेखर✍️
02/07/2022
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कहकशाँ-आकाशगंगा
आसिम-पापी
शोरा -बारूद
अबद-चिरकाल
इत्तिहाद-एकता