⚜️गुरु और शिक्षक⚜️
गुरु और शिक्षक दो स्तंभ,
एक है जीवन, एक आरंभ।
इंडिया करता है अंतर, आज दोनों में,
नहीं हुआ कभी भेद, आर्यावर्त के कोनों में।
गुरु नित अंतर्मन में दृष्टि रखता है,
शिक्षक पाठ्यक्रम से पूर्ण करता है।
शिक्षक तो बदलते रहते हैं,
जीवन में गुरु एक रहते हैं।
सदियों से गुरु पूर्णिमा,मनाते गुरु के लिए,
आज शिक्षक दिवस है, शिक्षको के लिए।
गुरु जीवन का, सच्चा अर्थ सिखाते हैं,
यहां शिक्षक हमारा, रिजल्ट बनाते हैं।
शिक्षक संसार प्रवृत्त, सेवा निवृत्त होते हैं,
पर, गुरु सर्वदा कोमल, पूर्ण प्रवृत्त होते हैं।
शिक्षक बताते हैं, हमारे पूर्वज बंदर थे,
गुरु कहते, नारायण,शिव-शक्ति,ऋषि पूर्वज थे।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः!!
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।।
स्वरचित✍️ –
सचिन लोधी “SPK”
नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश – 487001