⚘*अज्ञानी की कलम*⚘
⚘*अज्ञानी की कलम*⚘
बहर-२१२२ १२१२ २२
क़ाफिया-ई
रदीफ़-जैसी
राम में रम न पाई मन जैसी।
रात में भज न पाई गम वैसी।।
कर बैठें बदगुमानी हम कैसे।
बात हमारी न भाई तम तैसी।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
झाँसी उ•प्र•