★याद न जाए बीते दिनों की★
★याद न जाए बीते दिनों की★
“तब आँखों के लेंस
दिलो-दिमाग़ के पर्दे पर ऐसी
फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफी
करते थे कि चित्र और दृश्य
कभी धुँधले नहीं पड़ते थे।
क्या दौर था हमारा..!!”
■प्रणय प्रभात■
★याद न जाए बीते दिनों की★
“तब आँखों के लेंस
दिलो-दिमाग़ के पर्दे पर ऐसी
फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफी
करते थे कि चित्र और दृश्य
कभी धुँधले नहीं पड़ते थे।
क्या दौर था हमारा..!!”
■प्रणय प्रभात■