\// अंतिम प्रयास //\
फ़ौलाद भरा है सीने में
तो हार कैसे मानु।
जब जीत है मेरी मुट्ठी मे
तो भेद शिकस्त का क्यों जानु।
परिश्रम पर विश्वास करूँ मै
न और किसी पर आस करूँ मै।
जब जोश है मेरे जज्बे में
तो मै डर का भरम क्यों पालुं।
चल माना थोड़ा मुश्किल है
पर मेहनत से तो मुमकिन है।
तो क्यों न मात खाने से पहले
एक अंतिम प्रयास कर डालुं
जब फ़ौलाद भरा है सीने में
तो हार कैसे मानुं।