{{◆ भिखारी ◆}}
हम अपने आस पास अक्सर कुछ न कुछ ऐसा देखते है जो हमे ज़िन्दगी भर याद रहती है और कुछ बातों को भूल जाते है या ध्यान नही देते है, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ जो मुझे आज भी ऐसे याद है जैसे कल की ही बात हो । आज से तक़रीबन एक वर्ष पहले की बात है । हमारे शहर में 150 वर्ष पुराना एक हनुमान मंदिर है, हम महीने में किसी भी एक शनिवार या मंगलवार को ज़रूर जाते है वहाँ दर्शन करने, चुकी उस मंदिर की बहुत ज्यादा मान्यता है तो काफी संख्या में लोग दर्शन करने आते है। हम जब भी वहाँ जाते तो मंदिर की दान पेटी में पैसे नही डाल कर , मंदिर के बाहर जो भिखारी बैठते है उन्हें भोजन करवा देते है।
एक बार जब मैं वहाँ गयी तो, हमेसा की तरह दर्शन के बाद उन भिखारियों के भोजन का टोकन लिया और बगल में खड़ी हो गयी, चुकी भीड़ बहुत थी तो मुझे इन्तेज़ार करने को कहा गया ।
तभी अचानक मेरी नज़र एक भिखारी पे गई जो कूड़ेदान में कुछ ढूंढ रहा था, मुझे लगा कि शायद ये कोई मानसिक रूप से बीमार है लेकिन, मैंने देखा कि वो उसमे से बचा हुआ खाना निकाल कर खाने लगा । मुझे ये देख कर बहुत दुख हुआ कि हम ज़रूरत से ज्यादा खाना अपनी थाली में लेते है और उसे फेंक देते है जो कितनो को नशीब भी नही होता है । मेरे खाने का पैकेट तैयार हो चुका था, तो मैं वो पैकेट सब को देने लगी, मैंने उस भिखारी को भी दिया जो कूड़ेदान से खाना खोज रहा था, जब मैं उसके पास वो पैकेट ले कर गयी तो उसने बहुत ही सहजता से मुझसे वो पैकेट ले लिया, मैंने गौर किया कि वो एक स्वस्थ और तंदरुत व्यक्ति है । वो न तो अपाहिज था न मानसिक रूप से बीमार लग रहा था । खैर मैंने उसे खाना दिया और वहाँ से चली गयी, लेकिन एक सवाल मेरे मन और मस्तिष्क में घूमता रहा, की वो स्वस्थ था शारीरिक रूप से भी और मानसिक रूप से भी, वो चाहता तो कोई अच्छा सा मेहनत का काम भी कर सकता था । काम करने वालो के लिए कभी काम की कमी नही होती है, खासकर महानगरों में ।
लेकिन उसने अपने लिए भीख मांगने का काम चुना, आखिर क्यों? आखिरकार उसे उस कुड़ेदान से खाना क्यों खाना पड़ा ? ऐसा उसने अपनी गरीबी में किया या अपने आलसीपन में ?
शायद उसे मेहनत का काम कर के इज़्ज़त की रोटी खाने से ज्यादा आसान भीख मांग कर खाना लगा । मुझे इस घटना ने ये सोचने पे मजबूर कर दिया कि क्या इसके लिए हम ज़िम्मेदार नही है ? हम उन्हें गरीब समझ के मदद करते है , इसलिए वो काम नही करना चाहते है और उन्हें पता है यहाँ मैं नही तो कोई दूसरा उसे खाना दे ही देगा ।