{{◆ तेरी आदत पुरानी है ◆}}
ये तेरी मोहब्बत की कैसी मनमानी हैं,
संग तेरा है फिर , क्यों आँख में पानी हैं
इतनी दूर अपने साथ ले आया इश्क़ में,,
अब कहता हैं , ये तेरी ही नादानी हैं
सब हँसते हैं आज मेरे हालात पे,,
क्या सच्चे मोहब्बत की यही कहानी हैं
क्यों तेरे इश्क़ में सब फ़ना कर दिया मैंने,,
यही सोच के, मुझे हो रही हैरानी हैं
अपनी सारी खुशियाँ को मार तुझे वक़्त
दिया हैं,,
और तुम कहते हो तेरी क्या यही कुर्बानी हैं
मेरे दर्द में कभी ना आया तू संभालने,,
दर्द में और ज़ख्म देना ,तेरी आदत पुरानी हैं