तकलीफ इस बात की नहीं है की हम मर जायेंगे तकलीफ इस बात है की
दूरी इतनी है दरमियां कि नजर नहीं आती
लगता है अपने रिश्ते की उम्र छोटी ही रही ।
अब्र ज़ुल्फ़ों के रुखसार पे बिखर जाने दो।
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
समाचार झूठे दिखाए गए हैं।
मैं अपने जीवन की एक कहानी,तुमको,तुमको सुनाता हूँ
हम चिरागों को साथ रखते हैं ,
आज जगा लें अंतःकरण।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अब मज़े बाक़ी कहाँ इंसानियत के वास्ते।
मन के सवालों का जवाब नाही
आसान नहीं हैं बुद्ध की राहें
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
*बाजारों में जाकर देखो, कैसी छाई दीवाली (हिंदी गजल)*
जीवन में कुछ बचे या न बचे
हम से मोहबत हों तो वक़्त रहते बता देना|गैरो से जादा बात नही
शब्दों की मिठास से करें परहेज
जब मैसेज और काॅल से जी भर जाता है ,