स्वयं को चरित्रवान बनाना अपने हाथ में है और आसान भी है
शरारती निगाह में वही हँसी खुमार है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जब ‘नानक’ काबा की तरफ पैर करके सोये
मिल लेते हैं तुम्हें आंखे बंद करके..
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
*होता है पिता हिमालय-सा, सागर की गहराई वाला (राधेश्यामी छंद)
हिंदी
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
मैं अक्सर उसके सामने बैठ कर उसे अपने एहसास बताता था लेकिन ना
वो परिंदा, है कर रहा देखो
जब तुम नहीं कुछ माॅंगते हो तो ज़िंदगी बहुत कुछ दे जाती है।