◆{{◆ मुझे डुबाता चला गया ◆}}◆
दिल उसकी याद में सवरता चला गया,
उसका इश्क़ दरिया सा मुझे डुबाता चला गया,
फूलों सी रंगत में रंगा था ज़िस्म उसका,
अपनी खुशबू मेरे ज़हन में उतारता चला गया,
जिसके बिना एक लम्हा ही गुज़रना एक गुनाह सा था,
वो दफ़अतन पास आता चला गया,
शख्सियत शहंशाह की रखता है वो मेरे दिल में,
वजूद पर मेरे हकूमत शान से करता चला गया,
उलझने जब बढ़ी ज़िन्दगी के धागों में तो,
मेरे ख्वाहिशों को पंख लगा, उड़ान वो भरता चला गया,
कोई शब्दों के मायाजाल का, जादूगर सा है वो,
मुझे अपने गज़लों सा गाता चला गया,
मंज़िल की तरह वो मेरा इश्क़ जीतता रहा,
और मेरा मन उसके जीत के आगे हारता चला गया,