Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 May 2020 · 2 min read

◆◆【【{{अस्तित्व}}】】◆◆

◆◆【【{{अस्तित्व}}】】◆◆

खो रहा मेरे देश का अस्तित्व अंधकार में,
बिन बात के बन रहे मुद्दे बेकार में.
हर कोई फैला रहा नफरत अधर्मी बनकर,
सबको अपनी रोटी जो कमानी धर्म के बाजार में।

नही देख रहा कोई गरीब की लाचारी,
नंगे पांव जिनको खिंच रही किस्मत बेकारी.
सड़को रेलगाड़ियों में दम तोड़ रहे भूखे बच्चे,
सब दिखावे की है इन सरकारों की तैयारी।

बरसों से गरीबों का वही हाल है,
उतार रही जिनकी अफसरशाही खाल है.
खाने के नाम पर मिलती हैं लाठियां,
आज भी कैसे पेट भरूँ वही सवाल है।

आँखों पर पट्टी बांध दिखाये जाते उजाले,
खून भर भर के रोते है नंगे पैरों के छाले.
अब भी लड़ रहे नेता खुद की थपथपाई में,
किसको वक़्त है कौन मजदूर को संभाले।

मदद करना भी अब वाहवाही का दौर है,
हर तरफ भूखे नंगों की सेल्फियों का शोर है.
रोंगटे खड़े होते ये अब हाल देखकर,
यहाँ तो सब तरफ ही भेड़िये सब तरफ ही चोर हैं।

सरकार को तो मंजूर नही कोई उंगली उठाये,
कट्टरबाद के शामियाने में सब लोग आये.
बिक चुके सब खबरी अखबार,
कौन अब देश की हालत दिखाये।

राम-रहीम के गुण की तो कोई बात ही ना करता,
संघी जिहादी कह कह इंसान आपस में लड़ता.
धर्मों का तो सब एक ही हाल है,
लड़ा लड़ा आपस में हर कोई,इंसान के लिए इंसान
में ही नफरत है भरता।

गुणगान हो रहा अब सिर्फ पैसे वालों का,
देश हो रहा गुलाम बड़े कारोबारियों की चालों का.
मजबूर तो आज भी लुटता है फ़टे कपड़ों में,
तलाशता फिर रहा दर बदर जवाब खाली पेट
के सवालों का।

वैर विरोध के नारों का हर तरफ शोर क्यों,
ऊँची नीची जातों का फैला है रोग क्यों.
है नही यहाँ कोई अब भाईचारे की रसमें,
हर तरफ फैला है मतलब का ढोंग क्यों।

क्या कोई नही सुनता फरियाद गरीब की,
यहाँ करोड़ो में बनाते हैं एक याद अमीर की,
ये कौनसा धंधा है एक कुर्सी का,
लुटेरों ने मचाई तबाही पहन टोपी फ़क़ीर की।

अब तो बर्बादी का हर तरफ हो रहा नाच,
सब नोचते फिर रहे गरीबों का मास.
ये गुलामी कब तक रहेगी,
कब तक रहेगा ये ठोकरों का बनवास।

कोई तो ये इनके दर्द पहचाने,
भूखे बच्चों के हाथ थामे.
दवा पैसा ना सही,
कोई तो आये इनकी भूख मिटाने।

मेरे देश में पहले ऐसी तो न रीत थी,
दान सेवा की तो चलती आयी रीत थी.
इंक़लाब के नारे लगाते थे सब साथ मिलकर,
देश एकता की तो मिलती सब को सिख थी।

नाजाने किस ओर ये देश जा रहा है,
लगता है विनाश पास भुला रहा है.
दिखता नही वो अब प्यार भाव किसी में,
शायद अब इंसानियत की कश्ती शैतान चला रहा है
शायद अब इंसानियत की कश्ती शैतान चला रहा।।

Language: Hindi
7 Likes · 5 Comments · 301 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" हम "
Dr. Kishan tandon kranti
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
Kalamkash
"" *एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य* "" ( *वसुधैव कुटुंबकम्* )
सुनीलानंद महंत
अरे...
अरे...
पूर्वार्थ
सनातन की रक्षा
सनातन की रक्षा
Mahesh Ojha
* मायने हैं *
* मायने हैं *
surenderpal vaidya
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*हों  गया है  प्यार जब से , होश  में हम है नहीं*
*हों गया है प्यार जब से , होश में हम है नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
एक भगाहा
एक भगाहा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हमको रखना या सबका दिल यूँ भी ,
हमको रखना या सबका दिल यूँ भी ,
Dr fauzia Naseem shad
*संस्मरण*
*संस्मरण*
Ravi Prakash
चोर उचक्के बेईमान सब, सेवा करने आए
चोर उचक्के बेईमान सब, सेवा करने आए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
सुबुधि -ज्ञान हीर कर
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
किताबें
किताबें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सलाह के सौ शब्दों से
सलाह के सौ शब्दों से
Ranjeet kumar patre
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
Shweta Soni
सीसे में चित्र की जगह चरित्र दिख जाए तो लोग आइना देखना बंद क
सीसे में चित्र की जगह चरित्र दिख जाए तो लोग आइना देखना बंद क
Lokesh Sharma
2850.*पूर्णिका*
2850.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मस्ती का त्योहार है होली
मस्ती का त्योहार है होली
कवि रमेशराज
नये साल के नये हिसाब
नये साल के नये हिसाब
Preeti Sharma Aseem
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
Sonam Puneet Dubey
रहो कृष्ण की ओट
रहो कृष्ण की ओट
Satish Srijan
मैं घमंडी नहीं हूँ
मैं घमंडी नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
रो रो कर बोला एक पेड़
रो रो कर बोला एक पेड़
Buddha Prakash
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
कितना आसान है न बुद्ध बनना, अपनी दूधमुंही संतान को और सोती ह
Neelam Sharma
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
विकास शुक्ल
😢संशोधित कथन😢
😢संशोधित कथन😢
*प्रणय*
कातिल है अंधेरा
कातिल है अंधेरा
Kshma Urmila
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
Loading...