~~◆◆{{◆◆प्यारे◆◆}}◆◆~~
बेईमानी चलती है हमेशा नक़ाब ओढ़कर,ईमानदारी उड़ती है आसमान खुला छोड़कर.
मेहनत में ही असली गुण है प्यारे,चोरी चकारी तो चलती है घर तोड़कर।
आँख नीची निशाना आसमान पर,आती है कामयाबी फिर मंज़िल की आँख फोड़कर.
विनम्र व्यक्तित्व है हमेशा गुणकारी,ग़ैर भी मिलते है फिर हाथ जोड़कर.
मत कर घमंड कभी चार पैसे का,जला आएंगे आखिर एक दिन शमशान में कुछ सो की लकड़ी तोलकर.
मोहब्बत भी करनी है तो नियत पाक रखो,जरूरी तो नही प्यार जताना कपड़े खोलकर।
मुश्किल कोई भी हो मत दिल में रखो,क्या जीना दुनिया से दबकर,गम सांझा करते रहो अपनों से बोलकर।
प्रभु का हाथ थाम लो वक़्त कैसा भी हो,कुछ ना मिलेगा ऐ इंसान इंसानियत में ज़हर घोलकर।