~~◆◆{{◆◆जायदाद◆◆}}◆◆~~
सबकी जायदाद बस इतनी सी है एक सांस आती है एक जाती है,फिर भी किस वहम में लोग दुनिया पर ज़ोर चलाते हैं.
एक मुट्ठी रेत भी साथ ना जानी,फिर क्यों अपने हिस्से लिए लोग इस धरती पर सरहद बिछाते हैं।
खुद के दिल खुद के ज़मीर की आवाज़ कभी सुनते नहीं,फिर क्यों गैरों के रुतबे पर चिल्लाते हैं।
बुरे से बुरा इंसान भी जानता है इन आँसुओं की कीमत,फिर क्यों लोग दूसरों को रुलाते हैं।
सुकून की तलाश में सुकून ही नही रहता,हज़ारों ख्वाहिशें लिए इंसान जिंदगी भर खुद को बंदिशों में नचाते हैं।
शर्मिंदगी से बचता है हर कोई भीड़ में,रात को छुपकर आँसुओं से अंधेरों को जगमगाते हैं।
जिंदगी जीना है तो ढंग से जियो,वो फकीर ही तो हैं जो खाली हाथ भी मेलों में रौनक लगाते हैं।