◆दूरसंचार◆
●दूरसंचार ●
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समय पुराने अतीत काल में,
दूर दराज के हाल चाल में,
चिट्ठी आती खुशियां लाती,
बहुत पुराना हाल बताती।
हाल चाल जब उधर से आवे,
बड़ी देर समाचार बतावे।
खबर मिले जब तुरंत हरसावे,
पर वो खबर बूढ़ी हो जावे।
फिर आया नव दूर संचार,
नए तरीके नया विचार।
पल भर में यह बात सुनावे,
कब कहाँ कैसे हैं बतलावे।
भाव दिलों के दूर से आवे,
अस लागे जैसे पास ही पावे।
देख देख मुखड़ा हँस हँस कर,
बात होती चिपक चिपककर।
और कुछ खास बातों में,
लिखकर होती रातों रातों में।
खोज एक से एक अनमोल,
मैसेज मिलने में कोई ना झोल।
युग ऐसा तरक्की का आया,
सब कुछ पलमें द्वार है लाया।
अतिशय बुरा हर चीज का भाई,
यदि बिन सोचे दुरुपयोग हो जाई।
संयम से यदि करें उपयोग,
दूर संचार करेगा विकास का योग।।
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अशोक शर्मा 17.05.21
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