🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"हां, गिरके नई शुरुआत चाहता हूँ ll
तैरना है तो सही तैर तैर l
*देश का दर्द (मणिपुर से आहत)*
*दो दिन सबके राज-रियासत, दो दिन के रजवाड़े (हिंदी गजल)*
फर्क़ क्या पढ़ेगा अगर हम ही नहीं होगे तुमारी महफिल में
तेरे साथ गुज़रे वो पल लिख रहा हूँ..!
■ इससे ज़्यादा कुछ नहीं शायद।।
पार्टी-साटी का यह युग है...
विषय-आज उम्मीदों का दीप जलाएं।
बहारों के मौसम में तेरा साथ निभाने चला हूं