■ होली का हुल्लड़…
#बुरा न मानो होली है।
■ तक़लीफ़ की क्या बात है?
【प्रणय प्रभात】
“चुनावी साल
सरकारी माल
दरबारियों का धमाल
और सत्ता का कमाल
ऐसे में भी
जो माता-बहिन
उम्र या आमदनी के चक्कर में
अपनी जैसी नारियों की टक्कर में
लाडली बहना नहीं बन पाई
वो ख़ुद को माने लाडली भौजाई।
यही रिश्तों की करामात है
इसमें तक़लीफ़ की क्या बात है??