Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Sep 2023 · 1 min read

■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।

■ हंसी-ठट्ठे और घिसे-पिटे भाषणों से तो भला होगा नहीं।

1 Like · 140 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मैं चाहता था  तुम्हें
मैं चाहता था तुम्हें
sushil sarna
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
अब यह अफवाह कौन फैला रहा कि मुगलों का इतिहास इसलिए हटाया गया
अब यह अफवाह कौन फैला रहा कि मुगलों का इतिहास इसलिए हटाया गया
शेखर सिंह
रिश्तों की परिभाषा
रिश्तों की परिभाषा
Sunil Maheshwari
बात तो कद्र करने की है
बात तो कद्र करने की है
Surinder blackpen
छठ पर्व
छठ पर्व
जगदीश शर्मा सहज
गाँधी हमेशा जिंदा है
गाँधी हमेशा जिंदा है
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बात बराबर हैं
बात बराबर हैं
Kumar lalit
*आओ जाने विपरीत शब्द -अर्थ*”
*आओ जाने विपरीत शब्द -अर्थ*”
Dr. Vaishali Verma
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
लाख कहते रहो बुरा हूँ मैं
लाख कहते रहो बुरा हूँ मैं
अरशद रसूल बदायूंनी
एक हृदय की संवेदना
एक हृदय की संवेदना
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
"समझाइश"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ पल जिंदगी के उनसे भी जुड़े है।
कुछ पल जिंदगी के उनसे भी जुड़े है।
Taj Mohammad
कुछ ना करके देखना
कुछ ना करके देखना
Shweta Soni
*एक मां की कलम से*
*एक मां की कलम से*
Dr. Priya Gupta
होली में संग हो ली
होली में संग हो ली
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कविता -
कविता - "बारिश में नहाते हैं।' आनंद शर्मा
Anand Sharma
डॉ0 रामबली मिश्रबली मिश्र के दोहे
डॉ0 रामबली मिश्रबली मिश्र के दोहे
Rambali Mishra
3249.*पूर्णिका*
3249.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बोगनविलिया
बोगनविलिया
Meenakshi Bhatnagar
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
अल्फ़ाज़ बदल गये है अंदाज बदल गये ।
Phool gufran
खाक में मिल जाएगा ये मिट्टी का बदन तेरा.......
खाक में मिल जाएगा ये मिट्टी का बदन तेरा.......
shabina. Naaz
है हुस्न का सौदागर...
है हुस्न का सौदागर...
आकाश महेशपुरी
इसी साहस की बात मैं हमेशा करता हूं।।
इसी साहस की बात मैं हमेशा करता हूं।।
पूर्वार्थ
रिश्तों का बंधन
रिश्तों का बंधन
Sudhir srivastava
पदयात्रा
पदयात्रा
लक्की सिंह चौहान
“ज़ायज़ नहीं लगता”
“ज़ायज़ नहीं लगता”
ओसमणी साहू 'ओश'
समय
समय
Paras Nath Jha
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
Loading...