दिल है पाषाण तो आँखों को रुलाएँ कैसे
हौसला है कि टूटता ही नहीं ,
मुझे अपनी दुल्हन तुम्हें नहीं बनाना है
"आईये जीवन में रंग भरें ll
నమో నమో నారసింహ
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*छाया प्यारा कोहरा, करता स्वागत-गान (कुंडलिया)*
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ
जिन्दगी सदैव खुली किताब की तरह रखें, जिसमें भावनाएं संवेदनशी
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कोई यहाॅं बिछड़ते हैं तो कोई मिलते हैं,
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता