ग़ज़ल _ आख़िरी आख़िरी रात हो ।
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग...... एक सच
मातृभाषा💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
नौतपा
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तुम्हें पाने के बाद मुझे सिर्फ एक ही चीज से डर लगता है वो है
*कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम (कुंडलिया)*
ज़िन्दगी में जो ताक़त बनकर आते हैं
#रंगभूमि बलात् छल कमाती क्यों है
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
బాలాత్రిపురసుందరి దేవి
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कुछ तो रम्ज़ है तेरी यादें ज़ेहन से नहीं जाती,