Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2023 · 1 min read

■ स्वाद के छह रसों में एक रस “कड़वा” भी है। जिसे सहज स्वीकारा

■ स्वाद के छह रसों में एक रस “कड़वा” भी है। जिसे सहज स्वीकारा जाना आवश्यक है।

1 Like · 126 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
“यादों के झरोखे से”
“यादों के झरोखे से”
पंकज कुमार कर्ण
ना मुराद फरीदाबाद
ना मुराद फरीदाबाद
ओनिका सेतिया 'अनु '
कसरत करते जाओ
कसरत करते जाओ
Harish Chandra Pande
*युद्ध*
*युद्ध*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मजदूर
मजदूर
Dr Archana Gupta
ये बेजुबान हैं
ये बेजुबान हैं
Sonam Puneet Dubey
विषय
विषय
Rituraj shivem verma
"सुन लो"
Dr. Kishan tandon kranti
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
Irshad Aatif
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
Manoj Mahato
सम्राट कृष्णदेव राय
सम्राट कृष्णदेव राय
Ajay Shekhavat
3161.*पूर्णिका*
3161.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
समय ही अहंकार को पैदा करता है और समय ही अहंकार को खत्म करता
Rj Anand Prajapati
जो आज शुरुआत में तुम्हारा साथ नहीं दे रहे हैं वो कल तुम्हारा
जो आज शुरुआत में तुम्हारा साथ नहीं दे रहे हैं वो कल तुम्हारा
Dr. Man Mohan Krishna
आसान होती तो समझा लेते
आसान होती तो समझा लेते
रुचि शर्मा
दलित लेखक बिपिन बिहारी से परिचय कीजिए / MUSAFIR BAITHA
दलित लेखक बिपिन बिहारी से परिचय कीजिए / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
तुम्हारे इश्क़ की तड़प जब से लगी है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
क्यों पढ़ा नहीं भूगोल?
AJAY AMITABH SUMAN
*होली में लगते भले, मुखड़े पर सौ रंग (कुंडलिया)*
*होली में लगते भले, मुखड़े पर सौ रंग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
माँ ....लघु कथा
माँ ....लघु कथा
sushil sarna
हे! प्रभु आनंद-दाता (प्रार्थना)
हे! प्रभु आनंद-दाता (प्रार्थना)
Indu Singh
हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
हिंदी साहित्य में लुप्त होती जनचेतना
Dr.Archannaa Mishraa
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
चलो चलें बौद्ध धम्म में।
Buddha Prakash
फूल चुन रही है
फूल चुन रही है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
शिव  से   ही   है  सृष्टि
शिव से ही है सृष्टि
Paras Nath Jha
रमेशराज की 11 तेवरियाँ
रमेशराज की 11 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Surya Barman
दामन भी
दामन भी
Dr fauzia Naseem shad
Loading...