अब कष्ट हरो
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कुछ खामोश सी हो गई है कलम ...
उसकी खामोशियों का राज़ छुपाया मैंने।
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
मैं उन लोगों से उम्मीद भी नहीं रखता हूं जो केवल मतलब के लिए
नारी टीवी में दिखी, हर्षित गधा अपार (हास्य कुंडलिया)
हे कृष्ण कई युग बीत गए तुम्हारे अवतरण हुए
दोनों हाथों से दुआएं दीजिए
प्रकृति का अनुपम उपहार है जीवन
मनभावन होली
Anamika Tiwari 'annpurna '