■ सबको पता है…
■ ज़्यादा क्या लिखना…?
“इश्क़” की बीमारी और उसके साइड-इफ़ेक्ट्स सब जानते हैं। जो कर चुके हैं, वो भुगत कर। जो नहीं कर पाए वो औरों को देख कर। फिर तमाम शायर, कवि, लेखक भी अरसे से यही बताते आ रहे हैं। उसी में चार लाइन बंदे की भी जोड़ लेना बस।।
【प्रणय प्रभात】