■ सनद रहे….
#सीधी_बात
■ सत्यमेव जयते…
उजालों को अगर अंधेरों का भय होता तो हर काली रात के बाद चमकता दिन क्यों निकलता? झूठ अगर सच की छाती पर चढ़ने का दम रखता तो “सत्यमेव जयते” और “सत्यम शिवम सुंदरम” जैसे बोधवाक्य हाशिए पर जा चुके होते। समय और अतीत साक्षी है कि सिकन्दर जैसे विश्व-विजेता को पोरस के पराक्रम के समक्ष नत-मस्तक होना पड़ा। मुग़ल-बादशाह अकबर को महाराणा प्रताप की महानता को दिल से सलाम करना पड़ा।
यह सब उन मदमस्त अंधड़ों को भी समझना चाहिए जो सनातनी मशाल को फूंक मार कर बुझाने के प्रयास में लगे हुए हैं। भरोसा रखिए, उनका हश्र मारीच, सुबाहु, कालनेमि, ताड़का जैसा ही होगा। राम जी ने चाहा तो।।
【प्रणय प्रभात】