■ शर्मनाक हालात
■ देखते जाओ…
अभी तो चुनावी साल का आग़ाज़ भर हुआ है। अंजाम तक पता नहीं किस गंदे नाले में जाएगी गंदी नाली में औंधे मुंह पड़ी सियासत।
【प्रणय प्रभात】
■ देखते जाओ…
अभी तो चुनावी साल का आग़ाज़ भर हुआ है। अंजाम तक पता नहीं किस गंदे नाले में जाएगी गंदी नाली में औंधे मुंह पड़ी सियासत।
【प्रणय प्रभात】