Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2023 · 3 min read

■ व्यंग्य / आया वेलेंटाइन डे

■ गुलाब से जुलाव तक : पागलपन का पखवाड़ा
★ चोरी-चोरी चुपके-चुपके हुई तैयारियां
★ बेताब : इधर “बाज़ीगत” उधर “सिमरनें”
【प्रणय प्रभात】
तरुण प्रौढ़ों और अधेड़ युवाओं सहित नौसिखियों के दिल की दहलीज़ पर दस्तक देने आ पहुंचा है, एक पखवाड़े का पश्चिमी पर्व। जो बीते दो दशक में सारे पर्व-त्यौहारों को पीछे छोड़ अपसंस्कृति और अश्लीलता के महापर्व का ख़िताब हासिल कर चुका है। एक पखवाड़े के पागलपन के प्रतीक इस पर्व का आग़ाज़ 07 फरवरी को होगा, जो 21 तारीख़ को पिंड छोड़ेगा। आशनाई के आमंत्रण गुलाब दिवस से शुरू हो कर बेवफ़ाई के जुलाब सम्बन्ध विच्छेद (ब्रेकअप) दिवस तक चलने वाले इस पथभ्रष्टक पर्व की आमद को लेकर दो मोर्चो पर तैयारियों का दौर ज़ोर-शोर से शुरू होकर पूर्णता तक आ पहुंचा है।
एक तरफ आशिक़ी के झाड़ लोकतांत्रिक सरकार की तरह उदार हो कर घाटे का बज़ट तैयार कर चुके हैं। वहीं दूसरी ओर धर्म-संस्कृति के नाम पर हफ़्ते दो हफ़्ते के हुड़दंगी विपक्ष की भूमिका अदा कर अदावत निकालने को मरे जा रहे हैं। जिन्हें अपने घर की सुलगती चिंगारी से ज़्यादा चिंता दूसरे के घर के अंगारों की है। मतलब एक कोने में “चोरी-चोरी चुपके-चुपके” की शूटिंग चलेगी, वहीं दूसरे कोने में “जिस देश मे गंगा रहता है” का ड्रामा होगा। नज़ारे बिल्कुल सत्ता के सदन या एमसीडी जैसे होंगे। अख़बार और टीव्ही। वालों को मुफ़्त का मसाला मिलेगा। जेबी संगठनों के सूरमाओं को जलवा पेलने का मौक़ा और त्यौहारी मस्ती के दीवानों को “बाबा जी का ठुल्लू” जो हर “हुड़कचुल्लू” का नसीब है।
महापर्व का पहला चरण “आठ का ठाठ” टाइप होगा। आठ दिन के पहले दिन “गुलफ़ाम” गुलाब थमा कर उंगली थामने की प्रैक्टिस करेंगे। ताकि उंगली के बाद पोंचे तक पहुंचने की राह आसान हो। अगले दिन रोज़ थमाने का पर्पज़ प्रपोज़ यानि “इज़हारे-इश्क़” के तौर पर सामने आएगा। तीसरे दिन नक़ली प्यार की पींग में हींग का तड़का लगाने का काम “चॉकलेट” करेगी। चौथे दिन मंशा के रथ को विदेशी भालू उर्फ़ पांडा (टेडी-बियर) आगे बढ़ाएगा। जिसका साइज़ चॉकलेट की तरह देने वाले की हैसियत से अधिक लेने वाले की औक़ात पर निर्भर करेगा।
पांचवें दिन प्रॉमिस के नाम पर मिस के सामने क़सम खाई जाएगी जो हंड्रेड परसेंट झूठी मतलब “टांय टांय फिस” टाइप होगी। मानला जम गया तो अगले दिन “किस” के जरिये किस्मत का दरवाज़ा खुल जाएगा। बिल्कुल “जुम्मा चुम्मा दे दे” वाली स्टाइल में। चुम्बन दिवस के इस “चुम्बकत्व” का प्रभाव अगले दिन “चाँद” को “बाहु” में जकड़न की “राहु” जैसी सोच को बल प्रदान कर देगा। सात दिन की इस खर्चीली कसरत की कसर आठवें दिन कथित संत वेलेंटाइन की रूह को ठंडक देने का काम करेगी। बशर्ते दोनों तरफ हो आग बराबर लगी हुई। जो इस त्यौहार का मूल उद्देश्य है। वो भी बिना गड़बड़, पूरी होशियारी के साथ। वरना हाथ पीले हों न हों, मुंह काला होने की फुल गारंटी। ध्यान रहे कि लिब्रेशन के नाम पर 14 फरवरी के सेलिब्रेशन के ठीक 9 महीने बाद “बाल (बच्चा) दिवस” कहीं आए न आए, हमारे देश मे ज़रूर आता है। वो भी बिन बुलाए मेहमान की तरह।
यूं तो 90 फ़ीसदी नौटंकी पहले दौर में पूरी होने का विधान है। बावजूद इसके कुछ दीवाने अगले दौर से भी गुज़रने को तैयार रहते हैं ताकि अमर्यादा और अनैतिकता के ललित नहीं चलित और फलित निबंध का उपसंहार हो। पहले दौर में मनचाहा पूरा होते ही दूसरे दौर का अंदाज़ पाश्चात्य सभ्यता के अनुसार बदल जाता है। निर्णायक दौर की शुरुआत पहले दिन झापड़ (स्लैब) से होती है। दूसरे दिन मामला लात (किक) पर पहुंच जाता है। रिटर्न गिफ़्ट के तौर पर तमाचा और लात झेल जाने वाले को अगले दिन परफ्यूम दे कर फ़्लर्ट (धोखा) करने का मौक़ा नसीब होता है। जिसे मुराद पूरी कर लेने के बाद अगले दिन कंफेशन यानि गुनाह क़ुबूल करने की मोहलत मुहैया हो जाती है। इसके बाद बीते दिनों की याद और बेशर्म मुहब्बत ज़िंदाबाद। अंतिम दिन ब्रेकअप के साथ टेम्परेरी इश्क़ का पैकअप और जुनून ख़त्म। यह हाल है पश्चिम के प्यार का। मतलब प्यार ने ही लूट लिया घर यार का। अब मर्ज़ी आपकी। लुटो या लूटो। छोड़ो या छूटो। या फिर लपेटे में आ कर कुट-पिट जाओ तो घर बैठ कर छाती कूटो। वो भी जेब या नाक कटाने के बाद। अगले बरस तक के लिए…।।

■ प्रणय प्रभात ■
【संपादक- न्यूज़ & व्यूज़】
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 2 Comments · 280 Views

You may also like these posts

2 जून की रोटी.......एक महत्व
2 जून की रोटी.......एक महत्व
Neeraj Agarwal
3083.*पूर्णिका*
3083.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नव बहूँ
नव बहूँ
Dr. Vaishali Verma
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
छोटी कहानी- 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' -प्रतिभा सुमन शर्मा
Pratibhasharma
निकलती हैं तदबीरें
निकलती हैं तदबीरें
Dr fauzia Naseem shad
चित्र और चरित्र
चित्र और चरित्र
Lokesh Sharma
*दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग (कुंडलिया)*
*दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
निंदिया रोज़ मुझसे मिलने आती है,
निंदिया रोज़ मुझसे मिलने आती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किताबों में सूखते से गुलाब
किताबों में सूखते से गुलाब
Surinder blackpen
"वो दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
ओशो रजनीश ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
तू कल बहुत पछतायेगा
तू कल बहुत पछतायेगा
Vishnu Prasad 'panchotiya'
** लिख रहे हो कथा **
** लिख रहे हो कथा **
surenderpal vaidya
तुम पुरमासी के चाँद सी...
तुम पुरमासी के चाँद सी...
शिवम "सहज"
"तुम्हे बुनते बुनते"
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
'दोहे'
'दोहे'
Godambari Negi
Kavi Shankarlal Dwivedi (1941-81)
Kavi Shankarlal Dwivedi (1941-81)
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
उससे कोई नहीं गिला है मुझे
Dr Archana Gupta
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
गीत..
गीत..
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
😢😢😢😢
😢😢😢😢
*प्रणय*
क्षणिका सी कविताएँ
क्षणिका सी कविताएँ
Laxmi Narayan Gupta
दीवाली
दीवाली
Mukesh Kumar Sonkar
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
ओसमणी साहू 'ओश'
पूनम की चांदनी रात हो,पिया मेरे साथ हो
पूनम की चांदनी रात हो,पिया मेरे साथ हो
Ram Krishan Rastogi
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
Rj Anand Prajapati
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
हैं श्री राम करूणानिधान जन जन तक पहुंचे करुणाई।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...