हो पवित्र चित्त, चित्र चांद सा चमकता है।
राम का राज्य पुनः देश में लाने के लिए
उन बादलों पर पांव पसार रहे हैं नन्हे से क़दम,
श्री कृष्ण भजन 【आने से उसके आए बहार】
मेरा न कृष्ण है न मेरा कोई राम है
कोई तो रोशनी का संदेशा दे,
sp59 हां हमको तमगे/ बिना बुलाए कहीं
खवाब है तेरे तु उनको सजालें
हम घर रूपी किताब की वह जिल्द है,
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
ग़ज़ल को ‘तेवरी' क्यों कहना चाहते हैं ? डॉ . सुधेश
रिश्ते वही अनमोल और दिल के
हम तब तक किसी की प्रॉब्लम नहीं बनते..
आपकी सादगी ही आपको सुंदर बनाती है...!
अंधकार फैला है इतना उजियारा सकुचाता है
यशोधरा के प्रश्न गौतम बुद्ध से
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम