■ लोकतंत्र या ढोकतंत्र?
■ भगवान_बचाए
उन चाटुकारों से जो आकां कि जूती को टोपी मान कर सिर पर सजाए घूम रहे हैं और पस्ती के बीच भी मस्ती में झूम रहे हैं।
【प्रणय प्रभात】
■ भगवान_बचाए
उन चाटुकारों से जो आकां कि जूती को टोपी मान कर सिर पर सजाए घूम रहे हैं और पस्ती के बीच भी मस्ती में झूम रहे हैं।
【प्रणय प्रभात】