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24 Mar 2023 · 1 min read

■ लघु व्यंग्य कविता

👉 हर गली में मौजूद विशेष प्रजाति के जीव पर एक लघु व्यंग्य कविता :–
■ पहचान कौन…?
【प्रणय प्रभात】
“चापलूसी है चरम पर,
शर्म आती बेशरम पर।
देखता ना आचरण को,
चूम लेता है चरण को।
दिन दया पर काटता है,
श्वान बन पग चाटता है।
बाप अपने को ना पूजा,
बन गया भगवान दूजा।
बेसबब जोकर बना है,
मुफ़्त का नौकर बना है।
ताक पर ग़ैरत रखी है,
धूल जूतों की चखी है।
नाम किस-किस का बताऊँ?
आज हर इक पारखी है।।”
★प्रणय प्रभात★
श्योपुर (मध्यप्रदेश)

1 Like · 990 Views
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