■ लघुकथा
#लघुकथा
■ बस दो शब्द…..!!
【प्रणय प्रभात】
बिना किसी मीटर और मापदंड के अनाप-शनाप लिखने और जुगाड़ से छपवाने वाले एक स्वयम्भू साहित्यकार ने एक तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट करते हुए लिखा- “आज क़लमवीर पुरुस्कार प्राप्त हुआ। कृपया मेरी इस उपलब्धि पर दो शब्द अवश्य लिखें।”
मैंने प्रतिक्रिया में तुरंत दो शब्द लिखते हुए आदतन पूछ लिया- “कितने में…?” पट्ठे ने जवाब देने के बजाय आनन-फ़ानन में जूझे ब्लॉक कर के पिंड छुड़ाना ज़्यादा मुनासिब समझा।
आखिर उसे पता चल गया था कि मुझे भी देश भर में चल रहे अवैध पुरुस्कार और सम्मान भंडारों की पूरी जानकारी है। जी हाँ, वही जो सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्मो के जरिये “आँख के अंधे, गाँठ के पूरे” मुर्ग़े ढूंढते और हलाल करते रहते हैं। वो भी ऑनलाइन, आए दिन।।
★प्रणय प्रभात★
श्योपुर (मध्यप्रदेश)