■ लघुकथा / बस दो शब्द
■ लघुकथा / बस दो शब्द
【प्रणय प्रभात】
विना किसी मीटर और मापदंड के अनाप-शनाप लिखने वाले एक स्वयम्भू साहित्यकार ने एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा- “आज क़लमवीर पुरुस्कार प्राप्त हुआ। कृपया दो शब्द लिखें।” मैंने प्रतिक्रिया में तुरंत दो शब्द लिखते हुए पूछ लिया- “कितने में…?” पट्ठे ने जवाब देने के बजाय आनन-फ़ानन में ब्लॉक कर के पिंड छुड़ाना ज़्यादा मुनासिब समझा। उसे पता चल गया था कि मुझे भी देश भर में चल रहे पुरुस्कार और सम्मान भंडारों की जानकारी है। जो सोशल मीडिया के जरिये मुर्ग़े ढूंढते और हलाल करते हैं।