■ लघुकथा / इंतज़ार
■ लघुकथा / इंतज़ार सर्दी में…
【प्रणय प्रभात】
कड़क सर्दी का मौसम था। सुबह के 9 बज चुके थे। इंजीनियर बन चुका इकलौता बेटा अपने विदेशी नस्ल के कुत्तों के लिए तसला भर अंडे छील रहा था। एकाकी बाप चाय की तलब में मन ही मन कुलबुला रहा था। जो बना कर देने वाला बावर्ची रोज़ की तरह आज भी देरी से आना था। आख़िर मौसम सर्द जो था।
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