■ यादगार लम्हे
🙅नुमाइंदा_मिसरों_के_साथ
■ मोहतरमा शबीना अदीब और मैं
【प्रणय प्रभात】
“मेरे मसीहा मैं जी उठूँगी दुआएँ दे दे दवा से पहले।
हयात में नूर बन के आ जा ग़मों की काली घटा से पहले।।”
#शबीना_अदीब
“हवाएँ कैसी चली हैं सोचो दिमाग़ सबके सिहर चुके हैं।
मरे हुए तो मरे हुए थे हयात हैं वो भी मर चुके हैं।।”
#प्रणय_प्रभात
(मेरी अब तक की सबसे पसंदीदा शायरा)