■ मौजूदा दौर…
■ यक़ीन मानिए…
आज के दौर में बस दो तरह के लोग ही हँस सकते हैं। या तो पागल और दीवाने, या फिर वो जिन्हें ऊपर वाले ने अलग मिट्टी से फुर्सत में गढ़ा है। बाक़ी की तक़दीर में कुछ नहीं सिवाय रोने और दुःखी होने के।।
■प्रणय प्रभात■