■ मुक्तक / पुरुषार्थ ही जीवंतता
■ यात्रा का सूत्रधार पहला पग…
【प्रणय प्रभात】
“भाग्य भरोसे बैठे रहना केवल उम्र बिताना है।
कर्म करेगा बिना तर्क के निश्चित ही फल पाएगा।।
मंज़िल तो चल कर के तेरे पास नहीं आने वाली।
एक क़दम आगे रख प्यारे! अगला ख़ुद उठ जाएगा।।”
यात्रा छोटी हो या बड़ी, शुरुआत हमेशा पहले क़दम से ही होती है। यही पुरुषार्थ है। वाहन द्वार पर खड़ा हो तो भी उसमें सवार होने के लिए पग हमें ही उठाने पड़ते हैं। यदि जीवंत हों तो। मृतप्राय या अशक्त हों तो बात अलग है।