■ मुक्तक।
#मुक्तक-
■ पर्व का संदेश
【प्रणय प्रभात】
“ना परिंदों के पंख घायल हों,
ना ही ज़ख्मी किसी की पायल हो।
अपनी इंसानियत टटोलें हम,
आओ, जय हिंद साथ बोलें हम।।”
पर्व छोटा हो चाहे बड़ा। धार्मिक हो, सांस्कृतिक हो, सामाजिक हो या फिर राष्ट्रीय। सबका अपना कोई न कोई संदेश होता ही है। गणतंत्र दिवस का संदेश है कि हम सारी सीमाओं से ऊपर उठ कर अपने संविधान का मान करें। राष्ट्र की संप्रभुता का सम्मान करें और देश के गौरव का गान करें। साथ ही उन पावन उद्घोषों का सामूहिक नाद करें जो हमारी एकता व राष्ट्रीयता के प्रतीक हैं। जय हिंद। वंदे मातरम।।