हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
रहती कब रजनी सदा, आता निश्चित भोर(कुंडलिया)*
पाश्चात्य विद्वानों के कविता पर मत
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
सांवले मोहन को मेरे वो मोहन, देख लें ना इक दफ़ा
💐प्रेम कौतुक-538💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – बाल्यकाल और नया पड़ाव – 02
देखी है ख़ूब मैंने भी दिलदार की अदा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'