।। सुविचार ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
23/64.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
हमारी दुआ है , आगामी नववर्ष में आपके लिए ..
एक बिखरा ख़्वाब हूँ मैं, तू नींदों में दीदार ना कर,
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब
- संकल्पो की सौरभ बनी रहे -
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
दुनिया एक दुष्चक्र है । आप जहाँ से शुरू कर रहे हैं आप आखिर म
ओवर पज़ेसिव होना कितना उचित ?
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
संसार में कोई किसी का नही, सब अपने ही स्वार्थ के अंधे हैं ।
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जो "नीट" है, उसे क्लीन होना चाहिए कि नहीं...?
हर महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि
सफ़ीना छीन कर सुनलो किनारा तुम न पाओगे
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जहां से उठा वही से गिरा हूं मैं।
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं