■ नैसर्गिक विधान…
■ ध्यान रहेगा तो मान रहेगा…!
【प्रणय प्रभात】
“कबाब में हड्डी” और “दाल-भात में मूसरचन्द” जैसी कहावतें सदैव अवांछितों के लिए उपयोग होती आई हैं। एक सिक्के की तरह हर चीज़ के बस दो पहलू होते हैं। तीसरा पहलू आपने कभी नहीं सुना होगा। अलबत्ता “तीन तियाड़ा काम बिगाड़ा” ज़रूर सुना होगा। जोड़ी भी सिर्फ़ दो की होती है। जिनके बीच तीसरा केवल अप्रिय ही हो सकता है। चाहे पहले के लिए हो या फिर दूसरे के लिए। अभिप्राय मात्र इतना है कि तीसरा पक्ष बन कर दो के सह-अस्तित्व में बाधक न बनें। अन्यथा अपनी भावी नहीं अवश्यम्भावी दुर्गति के लिए कोई और नहीं आप स्वयं दोषी होंगे। ईश्वरीय व प्राकृतिक विधान का मान रखिए। युगल न बनें तो एकल रहें। मान-सम्मान बना रहेगा। जो कहना था कह दिया। आगे समझ और स्वीकार्यता आपकी अपनी।