Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2023 · 1 min read

■ नाम_ही_काफी_है…

■ नाम_ही_काफी_है…
“इनकी मंशा, निज़ाज और औक़ात बताने के लिए। फिर भी इन पर भरोसा…? बहुत भारी पड़ेगा एक दिन। समूचे देश को।।”
【प्रणय प्रभात】

Language: Hindi
1 Like · 246 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
Ranjeet kumar patre
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
ट्रेन का रोमांचित सफर........एक पहली यात्रा
Neeraj Agarwal
चटोरी जीभ!
चटोरी जीभ!
Pradeep Shoree
संवेदना का कवि
संवेदना का कवि
Shweta Soni
बापूजी
बापूजी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
स्वानंद आश्रम
स्वानंद आश्रम
Shekhar Deshmukh
मैं मतवाला मस्त फकीरा
मैं मतवाला मस्त फकीरा
लक्ष्मी सिंह
इनका एहसास खूब होता है ,
इनका एहसास खूब होता है ,
Dr fauzia Naseem shad
दोहा - चरित्र
दोहा - चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
VEDANTA PATEL
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।
Manisha Manjari
क्या कहता है ये मौन ?
क्या कहता है ये मौन ?
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
लफ्ज़ों की जिद्द है कि
लफ्ज़ों की जिद्द है कि
Shwet Kumar Sinha
घटा घनघोर छाई है...
घटा घनघोर छाई है...
डॉ.सीमा अग्रवाल
क़म्बख्त ये बेपरवाही कहीं उलझा ना दे मुझको,
क़म्बख्त ये बेपरवाही कहीं उलझा ना दे मुझको,
Ravi Betulwala
न छुए जा सके कबीर / मुसाफिर बैठा
न छुए जा सके कबीर / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
4918.*पूर्णिका*
4918.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
पुस्तक तो पुस्तक रहा, पाठक हुए महान।
Manoj Mahato
- स्वाभिमान -
- स्वाभिमान -
bharat gehlot
सरस्वती वंदना-5
सरस्वती वंदना-5
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
"जरूरतों में कम अय्याशियों में ज्यादा खर्च कर रहे हैं ll
पूर्वार्थ
आशा की एक किरण
आशा की एक किरण
Mamta Rani
संवेदना
संवेदना
संजीवनी गुप्ता
-सत्य को समझें नही
-सत्य को समझें नही
Seema gupta,Alwar
आपको डुबाने के लिए दुनियां में,
आपको डुबाने के लिए दुनियां में,
नेताम आर सी
बुढ़ापे में भी ज़िंदगी एक नई सादगी लाती है,
बुढ़ापे में भी ज़िंदगी एक नई सादगी लाती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दीवाली विशेष कविता
दीवाली विशेष कविता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
इंसान इंसानियत को निगल गया है
इंसान इंसानियत को निगल गया है
Bhupendra Rawat
* प्रभु राम के *
* प्रभु राम के *
surenderpal vaidya
" पैगाम "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...