■ बेवक़ूफ़ कौन….?
■ नफ़रत में नफ़ा….
【प्रणय प्रभात】
“जम्हूरियत के नाम पे हम जैसे करोड़ों।
पागल हैं सियासत में वफ़ा ढूंढ रहे हैं।।
सच जानते हैं सारे किसी से छुपा नहीं।
लाखों हैं जो नफ़रत में नफ़ा ढूंढ रहे हैं।।”
शर्मनाक विडम्बना यह है कि यही लाखों लोग करोड़ों के बीच खाई बढाने और ज़हर फैलाने में साल-दर-साल कामयाब होते आ रहे हैं। अब आप ख़ुद फ़ैसला कीजिए कि बेवक़ूफ़ कौन…? शायद आप और हम, जो साधे बैठें हैं मौन।।