कुछ पल साथ में आओ हम तुम बिता लें
विश्व कप-2023 फाइनल सुर्खियां
"तुम कौन थे , क्या थे, कौन हो और क्या हो ? इसके बारे में कोई
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
लोककवि रामचरन गुप्त के लोकगीतों में आनुप्रासिक सौंदर्य +ज्ञानेन्द्र साज़
उसकी सूरत में उलझे हैं नैना मेरे।
जगमग जगमग दीप जलें, तेरे इन दो नैनों में....!
singh kunwar sarvendra vikram
रातें जाग कर गुजरती हैं मेरी,
जीवन के सुख दुख के इस चक्र में
कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों !