शब की रातों में जब चाँद पर तारे हो जाते हैं,
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
कुछ बिखरे ख्यालों का मजमा
Dr. Harvinder Singh Bakshi
आ जा अब तो शाम का मंज़र भी धुँधला हो गया
आइये झांकते हैं कुछ अतीत में
कब तक छुपाकर रखोगे मेरे नाम को
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
*हिंदू कहने में गर्व करो, यह ऋषियों का पावन झरना (राधेश्यामी
*लोकमैथिली_हाइकु*
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Shankar Dwivedi's Poems
Shankar Dwivedi (1941-81)
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
लड़का पति बनने के लिए दहेज मांगता है चलो ठीक है
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आज की हकीकत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...