बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
कौन किसकी कहानी सुनाता है
**जिंदगी की ना टूटे लड़ी**
हवा भी कसमें खा–खा कर जफ़ायें कर ही जाती है....!
singh kunwar sarvendra vikram
रेशम के धागे में बंधता प्यार
" जब तक आप लोग पढोगे नहीं, तो जानोगे कैसे,
- तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही -
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
मेरा दिल हरपल एक वीरानी बस्ती को बसाता है।