■ दोहात्मक मंगलकामनाएं।
#महापर्व_का_मर्म
■ कुछ दोहे दीवाली वाले।
【प्रणय प्रभात】
★ दीप जलाएं नेह का, डाल प्रेम का तेल।
जिसकी लौ से नष्ट हो, राग-द्वेष का खेल।।
★ समरसता सर्वत्र हो, कोई न हो अस्पृश्य।
इस दीवाली माँ रमा, देखें अद्भुत दृश्य।।
★ हर्ष और उल्लास का, सब पाएं उपहार।
हृदय हृदय को जोड़ दे, यह पावन त्यौहार।।
★ भाईचारे की बने, नींव और भी ठोस।
अपना घर रोशन रहे, जगमग रहे पड़ोस।।
★ ना कोई पीड़ित दिखे, ना कोई मायूस।
चमक उठें चेहरे सभी, बन कर के फ़ानूस।।
★ अँधियारे के वक्ष पर, करते हुए प्रहार।
उजियारा है बाँटना, मिल कर के इस बार।।
★ धनतेरस की भोर से भाई दूज की शाम।
पाँच दिवस का पर्व यह, बाँटे खुशी तमाम।।
★ परम्परा जड़ मूल है, परिपाटी आधार।
पारम्परिक स्वरूप में, सज्जित हो त्यौहार।।
■प्रणय प्रभात■
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)