"नन्नता सुंदरता हो गई है ll
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
महालक्ष्मी छंद आधृत मुक्तक
पैसे कमाने के लिए लोग नीचे तक गिर जाते हैं,
भावों को व्यक्त कर सकूं वो शब्द चुराना नही आता
Kabhi kitabe pass hoti hai
यदि आप अपनी असफलता से संतुष्ट हैं
अब कहां वो प्यार की रानाइयां।