संकेतों के हो गए, जब पूरे दस्तूर ।
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भजभजन- माता के जयकारे -रचनाकार- अरविंद भारद्वाज माता के जयकारे रचनाकार अरविंद
तुझको मैंने दिल में छुपा रक्खा है ऐसे ,
*आया पहुॅंचा चॉंद तक, भारत का विज्ञान (कुंडलिया)*
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
नायब सिंह के सामने अब 'नायाब’ होने की चुनौती
गोलियों की चल रही बौछार देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं