शिल्प के आदिदेव विश्वकर्मा भगवान
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिंदगी में मजाक करिए लेकिन जिंदगी के साथ मजाक मत कीजिए।
चार दिन गायब होकर देख लीजिए,
ख्वाबों से परहेज़ है मेरा "वास्तविकता रूह को सुकून देती है"
रंज-ओ-सितम से दूर फिरसे इश्क की हो इब्तिदा,
हर-दिन ,हर-लम्हा,नयी मुस्कान चाहिए।
ग़रीबी में भली बातें भी साज़िश ही लगा करती
बाहर से लगा रखे ,दिलो पर हमने ताले है।
याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
*क्या बात है आपकी मेरे दोस्तों*
धन, दौलत, यशगान में, समझा जिसे अमीर।
आप खुद का इतिहास पढ़कर भी एक अनपढ़ को
मुहब्बत का मौसम है, बारिश की छीटों से प्यार है,
होने को अब जीवन की है शाम।
क्यूँ जुल्फों के बादलों को लहरा के चल रही हो,
संसार मे तीन ही चीज़ सत्य है पहला जन्म दूसरा कर्म और अंतिम म
इक ही नहीं मुमकिन है ये के कई दफा निकले
*भारत माता के लिए , अनगिन हुए शहीद* (कुंडलिया)
हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.??