■ दिल की बात…
■ दिल की बात
■ दिमाग़ वालों के साथ
दिल कोई खिलौना नहीं, जिससे खेला जाए और फिर तोड़ दिया जाए। जिन्हें खिलवाड़ और तोड़-फोड़ की बीमारी है, वो अपना ज़ोर खिलौनों पर चलाएं। धड़कते हुए दिलों पर रहम खाएं।
【प्रणय प्रभात】
■ दिल की बात
■ दिमाग़ वालों के साथ
दिल कोई खिलौना नहीं, जिससे खेला जाए और फिर तोड़ दिया जाए। जिन्हें खिलवाड़ और तोड़-फोड़ की बीमारी है, वो अपना ज़ोर खिलौनों पर चलाएं। धड़कते हुए दिलों पर रहम खाएं।
【प्रणय प्रभात】