■ तरकश के तीर…
#कटाक्ष
■ इत्ता सा फ़र्क़ है…
जिन लोगों के पास मेरे लिए एक मिनट नहीं, उनके लिए मेरे पास दो मिनट नहीं। दो मिनट बाद सब पहले जैसा। क्योंकि मैं हर किसी के जैसा दम्भी, अकड़ैल, अव्यावहारिक बन नहीं सकता। चाह कर भी। यह मेरे अपने संस्कार और सरोकार हैं। जो किसी के संस्कार या व्यवहार से आहत तो हो सकते हैं। प्रेरित और प्रभावित नहीं।।
【प्रणय प्रभात】