■ तजुर्बा…
■ तजुर्बा…
“दुनिया के सारे लफड़ों की जड़ दिमाग़ ही नहीं। कुछ का ज़िम्मेदार दिल भी है। जिसकी वजह से तमामों का बेड़ा ग़र्क़ होता आया है। आगे भी होता रहेगा लगातार। अक़्सर लगता है कि जो दिल बच्चा और सच्चा होना चाहिए था, वो कमबख्त होता जा रहा है, वक़्त के साथ-साथ।
【प्रणय प्रभात】